Tuesday, November 8, 2011

वादे



सारे वादे तुम्हारे 
मैंने रख दिया है 
दिल की  किताब में 

सूख चुके हैं 
सभी वादे 
किताब की फूल की  तरह 
छूने से डरता हूं 
 टूट न जाये कहीं.........

Tuesday, November 1, 2011

गोबरधन असमय नही मरता

गोबरधन असमय नही मरता
यदि मिल जाता उसे
दो मुट्ठी चावल

गोबरधन के बच्चे
सीख जाते
 लिखना अपना नाम
यदि मिल जाता उन्हें
दाखिला किसी सरकारी स्कूल में

नही लगाती फांसी गोबरधन की बीवी
यदि आ जाती पुलिस
उसकी इज्ज़त जाने  से पहले

यह अच्छा हुआ कि
गोबरधन नही जनता था
अपने अधिकारों के बारे में
दहल जाता उसका दिल
यदि  एक बार पढ लेता
वह भारतीय संविधान
मरने से पहले ........................

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...