Friday, January 24, 2014

पानी पर वृत

शांत जल में पत्थर फेंकने पर 
एक वृत बनता है 
छोटे से बड़ा 
और बड़ा बनता है 
पानी के सीने पर वृत बनाना 
आसान लगता है सबको ......

फेंका हुआ कंकड़ 
पहुँच जाता है तल में 
और ऊपर मिटने लगता है 'वृत'
हम कभी नही बचा पाते
अलग  हुए जल को फिर मिलने से
पानी का यह गुण
नहीं मिलता मनुष्यों में ...
जबकि हम बने हुए हैं जल से 

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...