सपनों का क्या है
उन्हें तो बनना और बिखरना है
मेरी फ़िक्र इंसानों की है |
कहीं तो बची रहे आँखों में
इक बूंद इंसानियत
विनाश के हाथों से |
सपनों का क्या है
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...