Tuesday, August 25, 2020

मैं शर्मिंदा हूँ

 आप जो ख़ामोश हैं

सोच कर कि सिर्फ एक औरत को नंगा कर दौड़ाया !
उस औरत में मेरी माँ थी
थी मेरी बहन
और मेरी प्रेमिका थी
आप देखते रहें
मजे लेते रहें नग्न बदन देख कर
मुझसे आँख मिलाकर बात कर सकते हो तुम
भद्र मानुष ?
थू है तुम पर
मैं शर्मिंदा हूँ कि
मैं तुम्हारे युग में जी रहा हूँ
तुम्हारे साथ

चन्द्रयान ने चाँद की सतह की पहली तस्वीर भेजी है

 चन्द्रयान ने चाँद की सतह की

पहली तस्वीर भेजी है
धरती पर गटर साफ करने उतरे
5 मजदूरों ने दम तोड़ दिया है
लोग चाँद की सतह की तस्वीर देख कर आनंदित और उत्साहित हैं
धरती के स्वर्ग में सन्नाटा है

नौकरी से निकाले गये युवक ने
जहर खाकर आत्महत्या कर ली है
उधर हत्या के आरोपी जेल से छुटे हैं
जय श्री राम के नारों के साथ उनका स्वागत हो रहा है

राष्ट्र नायक नये-नये परिधानों में ट्विटर पर मुस्कुराते दिखाई दे रहे हैं

मंदिरों को भव्य रूप में सजाया गया है
बाहर कुछ बच्चे भोजन के लिए भीख मांग रहे हैं

पत्रकारों की संस्था ने सत्ता का दामन थाम लिया है
राष्ट्रहित ही सर्वोपरी है

धार्मिक पहचान
अब नागरिकता का आधार बन चुकी है
जल, जंगल, जमीन की लड़ाई में शामिल लोग
अपराधी घोषित हो चुके हैं
भूख, बेरोजगारी, शिक्षा, शोषण, आदि के सवाल राष्ट्र का अपमान है

आओ, चंद्रयान की यात्रा करें हम !


रचनाकाल : 26 अगस्त 2019

Thursday, August 13, 2020

वे लोग

 वे लोग

जो, अपने भगवान और खुदा के अपमान पर
निकल पड़ते हैं बदला लेने के लिए
उनको कभी देखा नहीं
किसी भूखे को रोटी खिलाते हुए
किसी बीमार की सेवा करते हुए

इनके भगवान और गॉड
इनसे कितने खुश होते होंगे पता नहीं
जर्दानो ब्रूनो को चर्च ने
अफवाह फैलाने का आरोप लगाकर जिन्दा जला दिया था
जबकि वह गणितज्ञ एवं खगोलवेत्ता था
निकोलस कोपरनिकस ने कहा था - 'ब्रह्माण्ड का केंद्र पृथ्वी नहीं, सूर्य है।'

ब्रूनो ने निकोलस कोपरनिकस के विचारों का समर्थन करते हुए कहा - 'आकाश सिर्फ उतना नहीं है, जितना हमें दिखाई देता है,
वह अनंत है और उसमें असंख्य विश्व है।'

चर्च डर गया
रोम में भरे चौराहे पर ब्रूनो को जला दिया गया !

खगोल वैज्ञानिक गैलीलियो जो "ल्यूट" नामक वाद्य यंत्र बजाते थे
उन्होंने दूरबीन का अविष्कार किया
और कॉपरनिकस के सिद्धान्त का समर्थन किया
ईश्वरीय मान्यताओं से छेडछाड करने के आरोप में उन्हें कारावास मिला

जबकि हमें किसी भी ईश्वर की शिक्षा के बारे में कोई जानकारी नहीं है
उनके विश्वविद्यालयों की भी कोई जानकारी किसी दस्तावेज़ में
मौजूद नहीं है
फिर भी उनके आदेशों का पालन करने के लिए कहा जाता है बार-बार

अब जो भक्त मंदिर-मस्जिद और अपने ईश्वरों के अपमान की लड़ाई में
उन्माद हैं
उनसे पूछिये कोई सवाल तो
खड़ा हो जाता है बवाल

सुकरात को भी पीना पड़ा ज़हर
उसके प्याले में हमारे हिस्से का ज़हर भी शामिल था
मैंने नीलकंठ वाली कहानी बाद में सुनी है

गोविंद पानसरे भी शहीद हो गये
अंधेरे से हमें बचाने के लिए

ऐसे सैकड़ों शहीदों के बलिदान के बाद भी
युवक उतर आते हैं सड़कों पर
किसी दंगे के लिए
जला देते हैं पूरी की पूरी बस्ती
कौन खुदा और ईश्वर उन्हें ऐसा आदेश देता है ?
जबकि कोई भी ईश्वर रोक नहीं पाया
भूख और बीमारी से मरते लोगों को
नहीं रोक सका कोई भूकंप और सुनामी को
न ही किसी महामारी को ....!!

Tuesday, August 11, 2020

इस नये इतिहास में हमारा स्थान कहाँ होगा

 हक़ीकत की जमीन से कट कर

हमने आभासी दुनिया में बसेरा बना लिया है
हवा में दुर्गंध फैलता जा रहा है
हमने सांसों का सौदा कर लिया है
जमीन धस रही है
और हम आसमान में उड़ना चाहते हैं
पर वो आसमान कहाँ है
जहाँ पंख फैला कर कोई परिंदा भी अब आज़ादी से उड़ सके !

हम अपनी भाषा से दूर हो गये हैं
हमने 'एप्प' नामक मास्टर से नई भाषा सीख ली है
यह भाषा जो हमारी पहचान को मिटाने में सक्षम है
आजकल हम उसी में बात करते हैं
देश की सत्ता आज़ादी का पर्व मनाने को बेचैन है

ऐसे समय में नागरिक खोज रहा है
अपनी अभिव्यक्ति की आज़ादी का अधिकार
हम बाहर की दुनिया से इस कदर कट गये हैं कि
न धूप की खबर है न ही पता है कि चांदनी कब फैली थी आखिरी बार
दूरभाष यंत्र 'फोन' से आदेश पर नमक तक घर पहुँच जाता है
हम पानी का स्वाद भूलने लगे हैं

कहने सुनने के तमाम आधुनिक उपकरणों के इस युग में
हम भूल गये हैं कि
हम कहना क्या चाहते हैं
हम संविधान के पन्ने पलट रहे हैं

गैजस्ट्स को देशी भाषा में क्या कहते हैं
मुझे नहीं पता
आपको पता हो शायद
झारखण्ड की सुदूर पहाड़ी पर बसे आदिवासियों को
नहीं मिल रहा है सरकारी राशन
हमें न इसकी खबर है न ही परवाह
हम पोस्ट करते जा रहे हैं अपनी पसंद की बातें
रंग-बिरंगी पटल पर जिन्हें खूब सराहा जा रहा है
हम 'लाइक' और टिप्पणियों (कमेंट्स ) की गिनती कर रहे हैं
एक तरफ़ा मन की बात के इस दौर में
दूसरों की आवाज़ हमारे कानों तक नहीं पहुँच पाती
हमारा जीवन-मृत्यु एक नम्बर पर निर्भर हो गया है
उसे ही जीवन का आधार कहा गया है !
घाटी -घाटी का इतिहास बदल रहा है
नये इतिहास गढ़े जा रहे हैं
इस नये इतिहास में हमारा स्थान कहाँ होगा
किसी को पता है क्या ?

11.08.2017

Wednesday, August 5, 2020

राजघाट की समाधि पर आज बापू क्यों हैं खफ़ा !

बारिश होगी कुछ और देर
कुछ और रंग भी उतरेंगे
आगे-आगे देखिये
कुछ और मुखौटे खुलेंगे
जनता के नाम पर ये खेल चलेगा
कुछ भूखे मारे जायेंगे
दंगों की पीड़ा से कल तक जो दीखते थे आहत
सुने कि आज दीये जलाएंगे !
सत्ता खुश है
विपक्ष खुश है
इस वक्त दोनों जार्ज बुश है
मेरे दिमाग में भरा भूस है
जनता तो लेमनचूस है
चुन्नू खुश है
मुन्नू खुश है
खुश है मम्मी -पप्पा
सियार गान में शामिल हो गये सब
भूलकर अपना आपा
जब इतनी खुशियां चारों ओर है
राजघाट की समाधि पर आज बापू क्यों हैं खफ़ा !

इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...