Thursday, March 30, 2017

समय रहते चुनिए अपना पक्ष

जहाँ प्रेम पर पहरा हो
जहाँ एक पशु
मनुष्य से ऊपर हो जाये
उस पशु के शुद्ध गोबर से बने
उपले (गोईठा) 
हवन के लिए बिकने लगे ऑनलाइन
ऐसे समाज में जहाँ
जनहित में जहाँ सत्ता से सवाल करना हो
सबसे बड़ा अपराध
मानवीय मूल्यों की बात करना
खतरनाक है
पर,
मुक्तिबोध कह गये हैं
अब 'गढ़ और मठ तोड़ने होंगे ।'
कौन बनेगा अपराधी
मुक्तिबोध के कथन का पालन करने को
कौन है तैयार ?
अब, जब राजा ही देश है
और राजा की नीतियों की आलोचना
देशद्रोह का अपराध है
तब हम संविधान की दुहाई देते हुए
खामोश हो जाते हैं
राजा देवता का प्रतिनिधि होता है
इस कथन को याद करने के लिए
हमें यूनान या प्राचीन रोमन साम्राज्य में जाने की आवश्यकता नहीं है ।
केवल समय रहते चुनिए अपना पक्ष
अपने भविष्य के लिए ।

Monday, March 27, 2017

मैं, ज़िद में नहीं लिखता कविता

मैं,
ज़िद में नहीं लिखता कविता
न ही शौकिया लिखता हूँ
मैं तो कविता जीता हूँ
बेचैन होता हूँ
जिस तरह प्रेम
शौकिया नहीं होता
ज़िद से प्रेम हासिल नहीं होता
ठीक उस तरह
मैंने कविताएँ लिखी नहीं
लिख गयी हैं
जैसे हुआ था
तुमसे प्रेम मुझे
दरअसल साहित्य के विद्यार्थी समझ नहीं पाते
प्रेम कविता
विद्यार्थी डिग्री के लिए साहित्य पढ़ते हैं
मैं कविता लिखता हूँ
दर्द और प्रेम की अभिव्यक्ति के पक्ष में
कम से कम
मैं रहूँ
या न रहूँ
मेरी कविताओं में
बचा रहे मेरा प्रेम
विरह की पीड़ा
और तुम्हारी बेवफ़ाई
ताकि बची रहे
हमारी प्रेम कहानी सदियों तक !

Saturday, March 25, 2017

मेरी छाती पर रेत बिखरी पड़ी है

मैं, तुमसे बिछुड़ने से डरता था
तुमने कभी महसूस नहीं किया था
मेरे इस डर को

मैंने कहा था तुमसे
कभी तुम सागर बन जाओ 
मैं, नदी बन
तुमसे मिलने आऊंगा

ऐसा हुआ नहीं
पर तुमने एक नदी
मेरी आँखों में भर दी
मुझे तनहा छोड़ कर
आज मैं
एक मरुस्थल हूँ
मेरी छाती पर रेत बिखरी पड़ी है
और मरी आँखें नम हैं
आना कभी मन हो तो
मैं इंतज़ार करूँगा....





Friday, March 24, 2017

योगी सत्ता में

एक योगी
टीवी पर योग सिखाते -सिखाते
अब टीवी पर
साबुन ,
तेल,
नून, दातुन पेस्ट
और घी आदि बेचने लगा है
हाँ, वही
जो सलवार-शूट पहिनकर भागा था
बिलकुल वही
जिसने टीवी पत्रकार से कहा था
जब वो मूतने जाता है तो
दो हजार लोगों की भीड़ जमा हो जाती है
हाँ, वही
जिसने कहा था
कि कानून का डर है
वर्ना कईयों की लाशें बिछा देता !
एक संत बना बैठा बलात्कारी
उसकी आसा
जेल में निराशा में बदल गयी
और अब एक
प्रेमियों पर कड़ी पहरा बैठा कर
खूब मजे ले रहा है
गाजीपुर के मुर्गी व्यापारी सहमे हुए हैं
मुर्गियां बिकना नहीं चाहती
काशिम मुल्ला का परिवार
भुखमरी के द्वार पर खड़ा है
दिन में एक बालिका बता गयी
कि कौटिल्य साधू था
मुझे लगा था
कि वो तक्षशिला विश्वविद्यालय में
राजनीति का प्राचार्य था
पर जब कोई भक्त कुछ नया कहें
तो मान लेना बेहतर
मेरे बहुत दोस्त हैं
ऐसा मैं भी मानता था
साधुओं की तरह
उनके चेहरे भी रोज खुल रहे हैं
मैं समझदार हो रहा हूँ
उनके चेहरे की रौनक से
मतलब मेरा भ्रम टूट रहा है
उन्हें भी पता चल गया है

Thursday, March 23, 2017

इस देश में प्रेम निरोधक दस्ते

सागर ने कहा नहीं
नदी से अपनी बेचैनी
देखने वालों ने
लहरों को टूटते देखा
तट पर 
नदी ने कही नही
विरह की पीड़ा
बहती रही लगातर
बांध बना कर रोक दिया
नदी की प्रवाह को
मुझे तुमसे मिलने नहीं दिया
अपने ही लोगों ने
यह मेरी -तुम्हारी कहानी है
कोई क्या समझेगा
प्रेमियों की व्यथा
प्रेम अपराध है उनके लिए
क्यों कि
वे खुद वंचित हैं
प्रेम से ..
अब इस देश में
प्रेम निरोधक दस्ते बनने लगे हैं
चलो हम मिलेंगे ऐसी जगह पर
जहाँ चाँद को भी रहेगा इंतज़ार
हमारे मिलन का |

तुमसे बिछड़ गया मैं

इस बार घर से लौटते हुए 
ट्रेन रुकी दुर्गापुर स्टेशन के
उसी प्लेटफार्म पर
जिस पर मैंने उस दिन
तुम्हारे आने का 
इंतज़ार किया था
आज,
मैं अकेला हूँ
सफ़र में !
ख्यालों का 
भविष्य नहीं होता
मैंने तुम्हें अपना भविष्य माना था
ख्याल टूटे
मिलकर तुमसे 
बिछड़ गया मैं
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Tuesday, March 7, 2017

बहुत बेपरवाह हूँ मैं

रात का सन्नाटा
पसर रहा है
मेरी हड्डियों में
बालकनी में खड़ा होकर 
बहुत देर तक देखता रहा
रात के आकाश को
दो नक्षत्र खामोश जड़े हुए हैं
तुम्हारी नाक की नथ की तरह
मुझसे उब कर
विदा लेने के कारण को
खोज लिया है मैंने
बहुत बेपरवाह हूँ मैं |
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तुम्हारा कवि सीरिज से

निर्णायक समय पर पक्ष का साफ़ होना जरुरी है

पुरस्कार, चर्चा और नाम के लिए
जीने -मरने वाले
लोगों को
पहचानते हैं आप ?
वो उधर भी हैं
इधर भी !
मतलब
वे, वक्त के हिसाब से
बदलते हैं अपना रंग |
वे खूब जानते हैं
गलत -सही
सच -झूठ
पर अच्छे बने रहना चाहते हैं
दोनों ओर
ऐसे लोगों का पक्ष निर्धारित नहीं
और मुझे लगता है
निर्णायक समय पर
पक्ष का साफ़ होना जरुरी है
वो,
जो दोनों ओर है समान रूप में
वो मेरी ओर नहीं है
उनकी चाल मैं समझ चुका हूँ |

मेरी/ तुम्हारी प्रेम कहानी

तुम्हें भुलाने को
सोने की कोशिश
बहुत की
पर रात ने जिद्द नहीं छोड़ी
और मेरी आँखों ने 
रात का पक्ष लिया
#मेरी/ तुम्हारी प्रेम कहानी

मेरे मेरे दामन पर लगे हैं

तुम्हारे छोड़े हुए टूथब्रश से
मैं अपने कत्थई दांत
साफ़ करने की कोशिश
करता हूँ हर सुबह
दाग मेरे दांत से गहरा
मेरे दामन पर लगे हैं
मैं,भावुक होकर लिखता रहा
तुम्हारा कवि!
पिट गया
मैं लूट गया
एक तरफ़ा इश्क़ में !

Sunday, March 5, 2017

दो नक्षत्र खामोश जड़े हुए हैं

रात का सन्नाटा
पसर रहा है
मेरी हड्डियों में
बालकनी में खड़ा होकर 
बहुत देर तक देखता रहा
रात के आकाश को
दो नक्षत्र खामोश जड़े हुए हैं
तुम्हारी नाक की नथ की तरह
मुझसे उब कर
विदा लेने के कारण को
खोज लिया है मैंने
बहुत बेपरवाह हूँ मैं |
----------------------
तुम्हारा कवि सीरिज से

Saturday, March 4, 2017

मैं बंद कमरे में रोना चाहता हूँ

हत्या
बहुत मामूली बात हो गयी है
मेरे देश में
मेरे कान
यंत्रणापूर्ण चीखों से भर गये हैं
वो चीखें अब
नदी बन
सैलाब लिए
मेरी आँखों से बाहर आने को
बेताब हैं
मैं बंद कमरे में रोना चाहता हूँ
रात भर |
काश, मुझे इस वक्त
सर टिकाने को
मिल जाता
तुम्हारा कंधा
-तुम्हारा कवि सीरिज से


इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...