Wednesday, September 26, 2012

संवेनशील लोगों ने

हम सब 
संवेनशील लोगों ने 
लिखी ढेरों कविताएँ 
आत्महत्याओं पर 
और अर्पित किया 
अपनी श्रधांजलि 
मरे हुए लोगों को 

खूब किया हल्ला 
खूब हुए चिंतित 
हर एक मौत के बाद
पर हम लिख न पाए
एक भी कविता
उन्हें मौत से रोकने
के प्रयास में

संवेदनाएं जगती है हमारी
किसी की मौत के बाद ......

Friday, September 14, 2012

तेल पर खेल जनता झेल

तेल पर खेल 
जनता झेल 
पूंजीपति -सत्ता का 
गजब मेल 
महंगाई का है पेलम -पेल 
बना फिर कार्टून
चला जा जेल
मांगों न कोई बेल (जमानत )
भोजन ,पानी,बिजली
सबका मजा मुफ्त में ले
विरोध में
मानव सृंखला का
बना दे रेल

सरकार आज
बना साहूकार
देश मच गया हाहाकार ..

Tuesday, September 4, 2012

शिक्षक दिवस पर ..



युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...