याद है तुम्हें वो शाम
जब हम साथ बैठे बरामदे में
और पी रहे थे चाय एक ही प्याली में बारी -बारी
मैं भूल नही पाया हूँ
तुम्हारे स्पर्श को आज तक
मुझे आज भी याद है
वो साईकिल की सवारी
जब तुम बैठती थी अगले हिस्से पर
और मैं मारता पैडल
हम पहुँचते युनिवर्सिटी तक
चढाई आने पर जब मेरी
सांसे फूलती
और तुम होती बेचैन
मैं देखता तुम्हारी आँखों में
और पिघल जाता
याद है तुम्हे वो पल ?
नही न ,
जाने दो
यह जरुरी नहीं कि
तुम्हे भी याद रहे
सभी बातें ...
पर यदि कभी लगे कि
खोई हुई यादें चाहिए तुम्हें
ले जाना मुझसे आकर ...
मैंने इन्हें संजोकर रखा है तुम्हारे लिए ..
जब हम साथ बैठे बरामदे में
और पी रहे थे चाय एक ही प्याली में बारी -बारी
मैं भूल नही पाया हूँ
तुम्हारे स्पर्श को आज तक
मुझे आज भी याद है
वो साईकिल की सवारी
जब तुम बैठती थी अगले हिस्से पर
और मैं मारता पैडल
हम पहुँचते युनिवर्सिटी तक
चढाई आने पर जब मेरी
सांसे फूलती
और तुम होती बेचैन
मैं देखता तुम्हारी आँखों में
और पिघल जाता
याद है तुम्हे वो पल ?
नही न ,
जाने दो
यह जरुरी नहीं कि
तुम्हे भी याद रहे
सभी बातें ...
पर यदि कभी लगे कि
खोई हुई यादें चाहिए तुम्हें
ले जाना मुझसे आकर ...
मैंने इन्हें संजोकर रखा है तुम्हारे लिए ..