Friday, March 25, 2016

उम्मीद

वक्त के इस दौर में
जब आत्महत्या करने को विवश हैं
हमारी सारी संवेदनाएं
उन्हें बचाने के लिए
कविताएँ लिख रहा है
तुम्हारा कवि
इस उम्मीद के साथ
कि मैं रहूँ या न रहूँ
दुनिया में बची रहेगी
संवेदनाएं,
संवेदनाएं जो मनुष्य होने की
पहली जरुरत है
और मेरे भीतर
बचा रहेगा
तुम्हारा प्रेम ||

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...