हाँ, मेरी प्रेम कविताएँ
बहुत सपाट होती है
आड़ी-तिरछी,
उबड़-खाबड़ तरीके से
नहीं लिख पाता
मैं प्रेम को |
मेरी प्रेम कविताएँ मोहताज नहीं
किसी
अलंकार और बनावटी शिल्प के |
बहुत सपाट होती है
आड़ी-तिरछी,
उबड़-खाबड़ तरीके से
नहीं लिख पाता
मैं प्रेम को |
मेरी प्रेम कविताएँ मोहताज नहीं
किसी
अलंकार और बनावटी शिल्प के |