Wednesday, May 30, 2018

हवा में आज नमी है

मेरे शब्दकोश में रह गये हैं
अंतिम तीन शब्द
ये तीन शब्द प्रयोग में आते हैं
विदा लेते समय |
अब न कहना कि
पता नहीं तुम्हें
रात के इस पहर में
बहुत नीरवता है मेरे कमरे में
हवा में आज नमी है
तापमान में यह गिरावट अचानक आयी है
बदलाव अच्छा है
किन्तु मौसम का यह बदलाव टिकाऊ कभी नहीं रहा
मैं मध्यम वालूम में सुन रहा हूँ
उस्ताद राशीद खान के स्वर में
राग झिंझोटी.....
चांदनी रात में देखा है कभी
शांत रेगिस्तान को
महसूस किया है कभी
उसकी ख़ामोशी को !
यह कविता बन गयी है शायद ...
देखो पढ़ कर
महसूस करो मेरे भीतर फैले
रात के निशब्द मरुस्थल की पीड़ा ...
मान लो आज फिर
मुझे,
तुम अपना कवि....!


रचनाकाल :31 May 2016 at 00:40 

बहुत वीरान समय है


बहुत वीरान समय है
और ऐसे में तुम भी नहीं हो यहाँ
राजा निरंकुश है
बहुत क्रूर है
और मैं लिखना चाहता हूँ
हमारी प्रेम कहानी
तुम कहो -
क्या लिखूं - अंत,
मिलन या मौत ?
राजा हमारी मौत चाहता है
और मैं चाहता हूँ मिलन !
राजा रूठे तो रूठे
तुम न रूठना कभी ...|

 31 May 2017 at 21:57 

Tuesday, May 29, 2018

नहीं छीन सकते तुम हमसे हमारा विवेक और साहस

हालात यह है
कि अब हमारी मौत का पेटेंट भी
उन्होंने अपने नाम करवा लिया है
और इस ख़ुशी में
वे राजधानी में जश्न मना रहे हैं
गिद्धों ने यूँ ही नहीं किया था यहाँ से पलायन
वे जान चुके थे
कि एकदिन
सत्ता हमारा मांस नोचेगी
भुखमरी की भविष्यवाणी से
उनका पलायन जायज कहा जा सकता है आज
सच के उजागर करने पर
हम पर विद्रोह का लगेगा आरोप
इसका आभास था सभी को
किन्तु हमेशा की तरह
हम फिर उनके झूठे वादों में बहक गये
अब ऐसे में जब हमारे पास
न तो जीने का अधिकार है
न ही मरने का अधिकार,
तो क्यों न हम फिर से याद करें सुकरात के ज़हर के प्याले को
और तोड़ दें राजा की तमाम मूर्तियों को !
ताकि मृत्यु आये
तो आये सुकरात की मृत्यु की तरह
ताकि अहसास हो जाये राजा को
कि सब छीन सकते हो हमसे
पर नहीं छीन सकते तुम
हमसे हमारा विवेक और साहस |

Monday, May 28, 2018

मैं सलाम करता हूँ उन बच्चों को जिन्होंने

मैं बहुत खुश हूँ
कि तमाम सम्पन्न लोगों के बच्चों ने
10 सीजीपीए ग्रेड से पास कर ली हैं बोर्ड की परीक्षा
मैं उन सभी संपन्न परिवारों के बच्चों को बधाई देता हूँ
जिनके माँ-बाप के पास ट्यूशन के लिए पैसे तो हैं , पर समय नहीं 
और कुछ बच्चों के अभिभावक कालेजों में बच्चों को पढ़ा कर अपनी पहचान बताते हैं और घर चलाते हैं
पर मेरी एक मज़बूरी है
मैं सलाम करता हूँ उन बच्चों को जिन्होंने
10 सीजीपीए के बिना पास कर ली जिन्दगी की परीक्षा
जिनके नहीं आये फर्स्ट डिविजन
जो काम करते हुए पढ़ते हैं
जिनके माँ-बाप के पास नहीं है ट्यूशन का पैसा
और जो नहीं लिखते
अपने बच्चे के पास होने की सूचना फेसबुक पर
यह भी मेरी कविता नहीं ...
यूँ ही ... लिख दिया
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29 मई 2016 

Saturday, May 5, 2018

मुझे सपने में देखना

जब तक
मैं लौटा
गहरी नींद आ चुकी थी तुम्हें
तुम्हारे दिये 
जंगली फूल की मीठी खुशबू से
भर गया था मेरा कमरा
तुम्हारी नींद में
कोई ख़लल न पड़े
इसलिए
बड़ी सावधानी से प्रवेश किया
तुम्हारे सपनों की दुनिया में 

आज तुम
मुझे
अपने सपने में देखना |
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6 मई 2016 

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...