चिताएं धधक रही हैं
शोक, चीत्कार और पीड़ा के बीच
जारी है जीवन का उत्सव भी
विवाह के मंडप सजाएं जा रहे हैं
उनके तमाम 'भगवान' मास्क पहनकर मंदिरों में
खामोश बैठे हैं
किन्तु इस बीच कुछ सड़ी-गली इंसानी लाशें
नदी में तैर रही हैं
कुछ लोग इस बात से परेशान हैं कि
चिताएं अधिक जल रही हैं इस बार
जबकि कब्रें कम खुद रही हैं !
जबकि वे भी इंसान कहलाते हैं !
इनके इस दुःख का कोई निवारण नहीं है हमारे पास
दुनियाभर के हुक्मरानों, पूंजीपतियों ने कैसे खुद को
सुरक्षित कर लिया है
यह एक राज़ है !
महामारी या वायरस भी डरता है
पूंजी और सत्ता से
किन्तु चर्चा इस बात की है
कि खरबपति बिल गेट्स
अपनी पत्नी से अलग हो रहा है
जबकि यहां लोग बिना उपचार
और बिना ऑक्सीजन के दम तोड़ रहे हैं!
विश्व बैंक, रिज़र्व बैंक, कॉमर्स चैम्बरों की चिंता है
कैसे बढ़ें व्यापार
मुनाफा कैसे बढ़ाएं !
मेरी हैरानी ,
आपको हैरानी न भी हो तो
इंसानी लाशों की बदबू तो आती होगी आपको भी
कैसे रोकते हैं उसे
बताइए हमें भी...
हम सो नहीं सके हैं
कई रातों से .....!!