Friday, June 17, 2022

मुझे आकाश की भाषा नहीं आती ..

 नदी जब मौन हो

नीरव हो रात
ध्यान में बैठे हुए ऋषि की तरह
निथर हो पर्वत,तब
जुगनू क्या कहते हैं
वृक्षों से लिपट कर?
गाँव के सुनसान रास्ते को
गले लगाकर
क्या कहती है चांदनी ...!
टिमटिमाते तारों से कुछ कहता है
आकाश भी
मुझे आकाश की भाषा नहीं आती ...
(2012)

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...