नदी जब मौन हो
नीरव हो रात
ध्यान में बैठे हुए ऋषि की तरह
निथर हो पर्वत,तब
जुगनू क्या कहते हैं
वृक्षों से लिपट कर?
गाँव के सुनसान रास्ते को
गले लगाकर
क्या कहती है चांदनी ...!
टिमटिमाते तारों से कुछ कहता है
आकाश भी
मुझे आकाश की भाषा नहीं आती ...
(2012)