Sunday, June 17, 2012

फेस बुक


उन्हें अच्छा लगता है
जब कोई आता है
उनके पोस्ट पर
टिप्पणी छोड़ जाता है
पसंद कर जाता है
लिखा हुआ
छपा हुआ उनका

पर ...
वे भूल कर नहीं करते
 ऐसी भूल

ये सभी बड़े लोग है
इनके तर्क भी बड़े
फोल्लोर्स भी बड़े
ये फेस बुक है
जहां छुपाया जाता है
असली चेहरा कई बार

उन्हें कोई
फर्क नही पड़ता
मुझ जैसा छोटा आदमी
क्या करता है
क्या लिखता है
वे जानते हैं अपना मूल्य
यदि कह दिया कुछ भूल से
सोचते  हैं
मैं हो जाऊंगा  अमर
उनकी तरह ....

उनसे क्या कहना यारों
जो , मान चुके हैं खुदा
  खुद को .....

2 comments:

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...