जल दर्पण में
देखा चाँद को
एक दम शांत
लहरों ने किया विचलित रह -रह कर
पानी को मालूम था
चाँद की बेचैनी ......
देखा चाँद को
एक दम शांत
लहरों ने किया विचलित रह -रह कर
पानी को मालूम था
चाँद की बेचैनी ......
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
खूबसूरत..............
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत........................
अनु
Shukriya Anu ji
Deleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteशुक्रिया संजय जी
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