तुम्हे गिना था
अपनों में
रखा था
पलकों पर
मूँद कर आँखे
यकीं करना,
खता थी मेरी
सीखा दिया, तुमने
भावनाओं में डूबना
खता थी मेरी,
जता दिया तुमने ...
अपनों में
रखा था
पलकों पर
मूँद कर आँखे
यकीं करना,
खता थी मेरी
सीखा दिया, तुमने
भावनाओं में डूबना
खता थी मेरी,
जता दिया तुमने ...
वाह ... बहुत बढि़या।
ReplyDeleteसुक्रिया फिर से सदा जी ,
Deleteबहुत बेहतरीन रचना....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
बहुत -बहुत आभार शांति जी
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