Wednesday, February 23, 2011

वेदना




अपनी वेदना  को                       
 मैं शब्दों में
व्यक्त नही कर सकता
मेरी वेदना केवल
'शब्द ' तक सीमित नही है
शब्दों से परें हैं
सागर से गहरी है
सागर एक शब्द तो नही /

मेरी वेदना की  तुलना
नही की जा सकती
पृथ्वी की किसी
विशालकाय वस्तु या प्राणी से
मेरी वेदना केवल
वेदना मात्र नही है
यह एक अंतहीन कहानी है
जिसे पिरोया नही जा सकता
किसी माला में
मेरी वेदना सिर्फ
मेरी  वेदना ही तो नही ?
 

7 comments:

  1. Sach to yah hai ki 'Meri vedana sirf meri vedana nahi' baran yah to prakatikaran hai, madhyam hai samshti ke vyashti roop ka aur jisaki tulana kisi sookshma se lekar vishaaltam vastu/prani se nahin ki ja sakati.
    Achchhe sabd sanyojan ke liye aapaka saadhuvaad!!!!

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  2. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 01-03 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  3. "भार अगर होता तो मैं बांट साझा कर लेता
    पीडा मन की तन की अकेले सहनी होती है"

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  4. मेरी वेदना केवल
    वेदना मात्र नही है
    यह एक अंतहीन कहानी है
    जिसे पिरोया नही जा सकता
    किसी माला में
    मेरी वेदना सिर्फ
    मेरी वेदना ही तो नही ?......

    बहुत संवेदनशील कविता.....बहुत-बहुत बधाई !

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  5. बहुत सुन्दर और संवेदनशील प्रस्तुति..

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  6. व्यक्त ना कर सकने की पीड़ा को....बख़ूबी....व्यक्त कर दिया ...शुभकामनाएं

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...