दोस्ती और दुश्मनी के बीच
बचा हुआ रहता है
एक रिश्ता, किन्तु
अभी तक हम खोज नही पाए हैं
कोई मुकम्मल नाम इसका
यकीनन हम सभी तलाशते रहते
हैं
मिठास और कडवाहट से परे
कुछ क्षणों
के लिए शिथिल पड़ चुके
रिश्ते के लिए
रिश्ते के लिए
एक मकबूल नाम
जिससे कर सके संबोधन
एक –दूजे को
हम मनुष्य हैं
और हमारी सबसे बड़ी कमजोरी
है
कि हम अलग नही कर पाते
अपने अहं को
हमारी अपेक्षा हमेशा
दूसरों से ही होती है
और इसी तरह बनी रहतीं हैं
दरारें
रिश्तों में
जिसे भर नही पाता
कोई भी सीमेंट