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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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नमक तो नमक ही है नमक सागर में भी है और इंसानी देह में भी लेकिन, इंसानी देह और समंदर के नमक में फ़र्क होता है! और मैंने तुम्हारी देह का नमक...
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नदी जब मौन हो नीरव हो रात ध्यान में बैठे हुए ऋषि की तरह निथर हो पर्वत,तब जुगनू क्या कहते हैं वृक्षों से लिपट कर? गाँव के सुनसान रास्ते को ...

पर हर नई सरहद ने जन्म दिया
ReplyDeleteएक नई जंग को
अपने -अपने चमन में
नही उगा पाये हम
कभी अमन के फूल ....
और मरते रहें
अपनी -अपनी मौत .......
सच है
आभार वंदना जी
Deleteकितने सटीक तरीके से आप पाठक को सत्य से रू-ब-रू कराते हैं! यथार्थ के साथ रचनात्मकता का सत्य!
ReplyDeleteआभार
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