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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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गाँधी ने पहनी नहीं कभी कोई टोपी फिर उनके नाम पर वे पहना रहे हैं टोपी छाप कर नोटों पर जता रहे अहसान जैसे आये थे बापू इस देश मे...
पर हर नई सरहद ने जन्म दिया
ReplyDeleteएक नई जंग को
अपने -अपने चमन में
नही उगा पाये हम
कभी अमन के फूल ....
और मरते रहें
अपनी -अपनी मौत .......
सच है
आभार वंदना जी
Deleteकितने सटीक तरीके से आप पाठक को सत्य से रू-ब-रू कराते हैं! यथार्थ के साथ रचनात्मकता का सत्य!
ReplyDeleteआभार
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