Tuesday, August 29, 2023

इक बूंद इंसानियत

 सपनों का क्या है

उन्हें तो बनना और बिखरना है
मेरी फ़िक्र इंसानों की है |

कहीं तो बची रहे आँखों में
इक बूंद इंसानियत
तब हम बचा लेंगे इस धरती को
विनाश के हाथों से |

1 comment:

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