मान लीजिये कि कभी आप
चीख़ कर रोना चाहते हैं
किन्तु रो नहीं सकते !
कैसा लगता है तब ?
तकलीफ़ होती है न ?
चीख़ कर रोना चाहते हैं
किन्तु रो नहीं सकते !
कैसा लगता है तब ?
तकलीफ़ होती है न ?
मेरा देश रोना चाहता है बहुत जोर से चीख़ कर
जैसा कि मैं चाहता हूँ
किन्तु रो नहीं पाता हूँ
बहुत घुटता रहता हूँ
जैसे किसी तानाशाही ताकत ने
कैद कर दिया मुझे
किसी कैद खाने में
जहाँ से मेरी आवाज़ किसी को सुनाई नहीं देती
जैसा कि मैं चाहता हूँ
किन्तु रो नहीं पाता हूँ
बहुत घुटता रहता हूँ
जैसे किसी तानाशाही ताकत ने
कैद कर दिया मुझे
किसी कैद खाने में
जहाँ से मेरी आवाज़ किसी को सुनाई नहीं देती
मैं करना चाहता हूँ
दर्द और प्रेम का इज़हार एक साथ
पर मेरी आवाज़ और तुम्हारे बीच
बहुत मजबूत एक दीवार है
मेरी आवाज़ भेद नहीं पाती उसे
आओ हम मिलकर
चीखें दीवार की दोनों ओर .....
दर्द और प्रेम का इज़हार एक साथ
पर मेरी आवाज़ और तुम्हारे बीच
बहुत मजबूत एक दीवार है
मेरी आवाज़ भेद नहीं पाती उसे
आओ हम मिलकर
चीखें दीवार की दोनों ओर .....