Sunday, July 2, 2017

बरसात में नदी

बरसात में कभी देखिये
नदी को नहाते हुए
उसकी ख़ुशी और उमंग को
महसूस कीजिये कभी
विस्तार लेती नदी 
जब गाती है
सागर से मिलन का गीत
दोनों पाटों को बात करते सुनिए
कि हर नदी की किस्मत में
मिलन नहीं है
फिर भी बारिश में नहाती कोई नदी
जब खुश होती है
पहाड़ खोल देता है अपनी बाहें
झूमता है जंगल
खेत खोल देता द्वार
और कहता -
ओ , नदी थोड़ा संभल कर
मुझे सर्दी लग जाएगी !
खेत, अपने उदास किसान का
चेहरा सोच कर बुबुदाता है |
कहीं दूर उस नदी किनारे पर बसा गाँव से निकल कर
कुछ बच्चों ने कागज की कश्ती बनाई है
वे उसे नदी में बहा देना चाहते हैं
उस कश्ती में बच्चों ने
अपनी ख़ुशी भर दी है
और बताया है
कि, पिछले साल उनके गाँव के किसान, चिंटू के पापा ने
सूखे के कारण अपनी जान दे दी थी
पानी के आभाव में मरी थी कई बकरियां
बच्चों ने कश्ती में सूखे की पीड़ा लिखी है |
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