Tuesday, October 31, 2017

कविता के पक्ष होना मतलब जीवन के पक्ष में होना है

कविता करना या लिखना कोई पेशा नहीं है 
कविता करना 
मतलब जग और जीवन से परिचित होना है मेरे लिए 
वैसे भी जीवन में कविता के प्रवेश के बाद हमने ठीक से जीना सीखा है
मर के भी जीवत रहने की कला केवल कविता में है
यह जानने के बाद ही जीवन का होना सार्थक लगता है
कविता जीवन है
मनुष्य की तमाम कमज़ोरियों से परिचित किसने कराया हमें
जबाव है कविता
इसलिए कविता के पक्ष में रहना ही
अपने पक्ष में रहना है
हमारी तमाम संवेदनाएं जब कमज़ोर पड़ने लगें
और कभी जब यह अहसास होने लगे कि हम मर रहे हैं
पर हमारी सांसों का चलना जारी है
उस वक्त सबसे कमज़ोर हो जाते हैं हम
तब कोई सुंदर कविता हाथ थाम कर यदि कह दें हमसे कि यही जीवन है
एक नई उंमग जग सकती है हमारे भीतर
जीने की प्रबल चाह उभर आती है
ऐसे में निराश मन में नई ऊर्जा का सृजन होता है
पतझड़ में वसंत आता है
इसे ही कविता कहते हैं शायद
पर मेरा यकीन है
यही कविता है
चिकित्सा विज्ञान हमारी तमाम शारीरिक बिमारियों का उपचार कर दें,
संभव है आज
किन्तु दिल में सुकून कोई मधुर कविता ही भर सकती है
दुनिया की तमाम महान क्रांतियों की कहानी पढ़ कर देखिये कभी
उनमें हर समय नई ऊर्जा की कवि की रचना ने भरी है
हर जन-क्रांति में कोई न कोई कवि शामिल हैं अपनी कविता के साथ
इसलिए कविता के पक्ष में होना
मनुष्य के पक्ष में होना है
जीवन के पक्ष में होना है
जनहित में मानवता के पक्ष में होना है !

Tuesday, October 17, 2017

पहले ईश्वर नामक प्राणी मरा

पहले मंगल पर पंहुचे
फिर चाँद पर
बड़े सा पुल राष्ट्र को समर्प्रित हुआ
मन की बात का प्रसारण जारी रहा
जमीन पर कुछ किसान मारे गये
एक बच्ची भूख से मर गयी बिलकते हुए
उन्होंने राष्ट्र के नाम सन्देश दिया
ताज महल हमारी संस्कृति नहीं
मैंने असफल प्रयास किया
एक प्रेम कविता रचने की
पहले ईश्वर नामक प्राणी मरा
फिर मेरी संवेदनाएं |

Tuesday, October 10, 2017

हमारी स्मृतियों के साथ खेल रहे हैं वे

हमारी स्मृतियों के साथ खेल रहे हैं वे
याद कीजिए हम क्या -क्या भूल गये हैं इस दौरान
वे सभी लोग
जो शहीद हो गये
निरंकुश सत्ता से हमारे हक़ की लड़ाई में 
वे बच्चे,
जिन्हें शासन की बंदूक ने यतीम बना दिया
आखिरी बार कब याद आये हमें उन लोगों के चेहरे
बंदूक की नोक पर जिनसे छीन ली गयी
उनकी जमीन और जंगल
इसी तरह हम
वे तमाम बातें भूल गये हैं
जिन्हें भूलना सबसे घातक है भविष्य के दिनों के लिए
उनका काम है
हमारी स्मृतियों से खेलना
वे, जो उस तरफ खड़े होकर
हंस रहे हैं हम पर
बखूबी जानते हैं
कैसे बदला जाता है इतिहास
वे केवल किताबों से ही नहीं
जमीन से भी गायब कर देते हैं आदमी को
हमारी ये भूलने की आदत
एक दिन हमको भूला देगी
और तब किसी इतिहास की किताब के किसी कोने में भी
हम खोज नहीं पायेंगे खुद को
तब सभी किताबें जल चुकी होगी नफ़रत की आग में !

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...