मैं बहुत डरा हुआ हूँ
किसी दुश्मन से नहीं
किसी हमलावर से नहीं
बल्कि उन लोगों से
जो जीवित हैं
किन्तु उनका ज़मीर मर चुका है
डरा हुआ हूँ उनसे
जिन्होंने अब भी चुप्पी साध रखी है
और सबसे ज्यादा भयभीत हूँ
उन कवियों से
जिनकी कलम से गायब हो चुका है
प्रतिरोध |
किसी दुश्मन से नहीं
किसी हमलावर से नहीं
बल्कि उन लोगों से
जो जीवित हैं
किन्तु उनका ज़मीर मर चुका है
डरा हुआ हूँ उनसे
जिन्होंने अब भी चुप्पी साध रखी है
और सबसे ज्यादा भयभीत हूँ
उन कवियों से
जिनकी कलम से गायब हो चुका है
प्रतिरोध |