मैं मौत, भूख
अन्याय पर लिखता हूँ
सपाट कवितायें
अन्याय पर लिखता हूँ
सपाट कवितायें
मेरी कविता में
राजा का बेलगाम सांड प्रजा को रौंदता है
किसान भूख से मरता हैं
राजा का बेलगाम सांड प्रजा को रौंदता है
किसान भूख से मरता हैं
मर जाती हैं मासूम बच्चियां बलात्कार और कुपोषण से
मेरी कविताएं अनाथ नहीं
बहुजन की व्यथा होती है
मेरी कविताएं अनाथ नहीं
बहुजन की व्यथा होती है
अब ऐसे में
कैसे मैं बधाई दूं ..
पुरस्कृत कवि को
कैसे मैं बधाई दूं ..
पुरस्कृत कवि को
आप मुझे नक्सली कह दो
कह दो बेईमान , फ़र्जी
या देशद्रोही
मुझे फ़र्क नहीं पड़ता
कह दो बेईमान , फ़र्जी
या देशद्रोही
मुझे फ़र्क नहीं पड़ता
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 17/06/2019 की बुलेटिन, " नाम में क्या रखा है - ब्लॉग बुलेटिन“ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteभूखे किसान या पीड़ित बच्चियों की पीड़ा को महसूस करने वाला देशद्रोही या नक्सली नही होता बल्कि देश में विघटन व विध्वंस करने वाला होता है . और बेशक वह होता है .
ReplyDelete