किसी को नहीं दिखता
जमीन के नीचे 
उबलते लावा का रंग 
अब पढ़ते हैं
तस्वीर में 
मेरा चेहरा 
बढ़ी हुई दाढ़ी 
और ....
कुछ नहीं
मने मेरा कवि मर गया है
खो गया है कहीं
न 
मैं तो अपने लोगों के साथ सिंघु बॉर्डर पर हूँ
टिकरी पर हूं
मैं चीनी और पाकिस्तानी सीमा पर भी हूँ 
ये सत्ता मुझे पहचान कर भी पहचान नहीं पाती है ।
कारण आप जानते हैं
इंक़लाब ज़िंदाबाद कहने के लिए
56 इंची सीना नहीं चाहिए 
सिर्फ जागरूक नागरिक होना काफी है ।
 
 
 
