Tuesday, August 29, 2023

इक बूंद इंसानियत

 सपनों का क्या है

उन्हें तो बनना और बिखरना है
मेरी फ़िक्र इंसानों की है |

कहीं तो बची रहे आँखों में
इक बूंद इंसानियत
तब हम बचा लेंगे इस धरती को
विनाश के हाथों से |

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...