Saturday, October 30, 2010

आधुनिक दिवाली

दिवाली के मिठाइयों
अब मिलने लगा है  रंग
सब जानते हैं  फिर भी कोई होता नही दंग
खाकर वही  मिठाइयाँ
हो जाते सब मग्न

मिलावटी घी / तेल से
जलते हैं अब दीये
रात निकलकर देखो सब रहते हैं पिये

बच्चों का हाथ अब पहुँचता नही
बड़ों से चरणों तक
रुक जाता है आकर घुटनों तक

पंडित पड़ता नही मन्त्र
उनका काम करता है
सी . डी . प्लयेर नामक यंत्र
यही है त्योहार मानाने का आधुनिक तंत्र .

1 comment:

  1. मिलावटी घी / तेल से
    जलते हैं अब दीये
    रात निकलकर देखो सब रहते हैं पिये.....
    waah puja ka matlab yahi hai ...suder

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...