जब तक तुम जियोगे
दाने - दाने को तरसोगे
समझे किसान ?
तुम्हे क्या लगता है
अंग्रेज़ यहाँ से चले गए
वे अब भी मौजूद हैं
हमारी व्यवस्था में
क्या तुम्हें अहसास नही होता
उनके होने का
दलाल नेताओं के व्यवहार से ?
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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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मानव सभ्यता के सबसे क्रूर समय में जी रहे हैं हम हमारा व्यवहार और हमारी भाषा हद से ज्यादा असभ्य और हिंसात्मक हो चुकी है व्यक्ति पर हा...
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गाँधी ने पहनी नहीं कभी कोई टोपी फिर उनके नाम पर वे पहना रहे हैं टोपी छाप कर नोटों पर जता रहे अहसान जैसे आये थे बापू इस देश मे...
किसान की करूँ गाथा ....यथाथ कविता
ReplyDeleteशुक्रिया baban jee
ReplyDeletekoi to hai jo kisan ki peeda ke bare me bhi sochta hai.
ReplyDeletegood!