Thursday, March 10, 2011

मेरी किताबें

दस वाई  दस के कमरे में 
किताबों से भरी हुई रैक 
दिन भर --
किताबें रहती हैं खामोश 
और मैं बोलता रहता हूं उनसे

रात के सन्नाटे में 
जब मैं खामोश रहता हूँ 
मेरी किताबें 
बातें करती है मुझसे .
और सुनाती है  कहानी 
अपने सीने में कैद 
महान हस्तियों की /

5 comments:

  1. वाह ..बहुत सुन्दर ...किताबों से संवाद अच्छा लगा

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  2. सुंदर...सहज-संप्रेष्‍य...।

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  3. भाई नित्यानन्द जी ,
    नित्य आनन्द !
    आज पहली बार आपके ब्लोग की यात्रा की ।
    बहुत शानदार एवम जानदार ब्लोग है आपका ।
    रचनाएं भी खूब अच्छी ! बधाई हो ! जय हो !
    आपकी इस कविता के अनुरूप ही है मेरा 10बाई8
    का किआबों भरा कमर और मैं हर रात हज़ारों किताबों से बतियाता हूं !
    कविता अच्छी लगी ! फ़िर बधाई !
    ** मेरी किताबें **

    दस वाई दस के कमरे में
    किताबों से भरी हुई रैक
    दिन भर --
    किताबें रहती हैं खामोश
    और मैं बोलता रहता हूं उनसे


    रात के सन्नाटे में
    जब मैं खामोश रहता हूँ
    मेरी किताबें
    बातें करती है मुझसे .
    और सुनाती है कहानी
    उनके सीने में कैद
    महान हस्तियों की /

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  4. मेरी किताबें
    बातें करती है मुझसे .
    और सुनाती है कहानी
    उनके सीने में कैद
    महान हस्तियों की ....

    बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना ! शुभकामनायें !

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  5. hum.............
    jab saari duniya...
    jab saari duniya soti hai
    tab kavi ki mulakaat kalam kitabon se hoti hai...

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...