Tuesday, November 1, 2011

गोबरधन असमय नही मरता

गोबरधन असमय नही मरता
यदि मिल जाता उसे
दो मुट्ठी चावल

गोबरधन के बच्चे
सीख जाते
 लिखना अपना नाम
यदि मिल जाता उन्हें
दाखिला किसी सरकारी स्कूल में

नही लगाती फांसी गोबरधन की बीवी
यदि आ जाती पुलिस
उसकी इज्ज़त जाने  से पहले

यह अच्छा हुआ कि
गोबरधन नही जनता था
अपने अधिकारों के बारे में
दहल जाता उसका दिल
यदि  एक बार पढ लेता
वह भारतीय संविधान
मरने से पहले ........................

4 comments:

  1. मन के संवेदनशील भाव .... सच तो यही है हमारे समाज का ....

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  2. वाह नित्यानान्दजी ...शब्द नहीं हैं मेरे पास ...चीर के रख दिया सच को ....!!!!!

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  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...