Thursday, January 19, 2012

राख हुए सपने



'गुलाबी' के 
सपने तो बहुत थे 
उन्हें तोड़ने वाले 
कहाँ कम थे ?

रंगीन चूड़ियों 
का  सपना 
सहृदय बालम
का सपना 

 सबको अपना
 बनाने का सपना  

जलाई  जाएगी 
उसे केरोसिन डालकर 
नही था 
ये सपना गुलाबी का 
पर ........................
राख हुए सब सपने 
गुलाबी के साथ 


 

7 comments:

  1. संवेदनशून्य समय की त्रासदी ! तरह-तरह के सपनों का ध्वंस.

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  2. हमारे समाज की असंवेदनशीलता की सटीक और सुन्दर प्रस्तुति...

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  3. संवेदनशील प्रस्तुति ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका सवागत है http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  4. आभार आप सभी का ..................

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  5. Pallavi ji aapke blogs follow kar liya ...........sunder.

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  6. बहुत ही शर्म की बात है आज भी सपने टूट रहे है ...
    सुंदर prayaas ....

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  7. समाज में आज भी दुर्भाग्य से ये सब व्याप्त है ..!
    बहुत बढ़िया रचना !

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...