शिखोरबाली (मेरा गांव ) में आज अंतिम दिन है ....
बहुत मुश्किल है
तुम्हे भूलना
तुम्हे छोडना '
मेरे साथ जायेगी तुम्हारी
मिट्टी की खुशबू
हवा की महक
चिडियों की चहक
कच्ची सड़क
मन उदास है
हवा भी बंद है
तुम्हे भी गम है
मेरी आँखें आज नम है ........
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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