खामोश रेखाकार
बहुत कुछ कहता है
आँखों से
जानते हो तुम
आँखों की भाषा ?
नही ,
मैं नही कह रहा हूँ
कोई पक्ष की बात
केवल बयाँ कर रहा हूँ
बहुत कुछ कहता है
आँखों से
जानते हो तुम
आँखों की भाषा ?
नही ,
मैं नही कह रहा हूँ
कोई पक्ष की बात
केवल बयाँ कर रहा हूँ
जो कुछ समझ पाया
झांक कर उनकी आँखों में
बहुत कुछ कहती है ख़ामोशी
आकाश से टूट कर गिरते तारे की तरह
वे मांगते हैं बंदकर मुट्ठी
अपने लिए दुयाएँ
क्या जाने ..
टूट कर बिखरने की पीड़ा ...?
ये सभी दानिश्वर हैं
लकीर की भाषा तो केवल
फ़क़ीर समझते हैं ....
-नित्यानंद गायेन
रायपुर ,27/10/12
झांक कर उनकी आँखों में
बहुत कुछ कहती है ख़ामोशी
आकाश से टूट कर गिरते तारे की तरह
वे मांगते हैं बंदकर मुट्ठी
अपने लिए दुयाएँ
क्या जाने ..
टूट कर बिखरने की पीड़ा ...?
ये सभी दानिश्वर हैं
लकीर की भाषा तो केवल
फ़क़ीर समझते हैं ....
-नित्यानंद गायेन
रायपुर ,27/10/12