इनदिनों,
अपने खालीपन में
मैं अक्सर खोजता हूँ तुम्हें अपने आस-पास
और याद करता हूँ अतीत के सुहाने पलो को
तुम्हारी मीठी मुस्कान
आज भी चिपकी हुई है मेरी आँखों पर
हाँ , अब मेरी आँखें जरुर कमज़ोर हो चुकी है
इतना कमज़ोर कि
अब मैं देख नहीं पाता हूँ साफ़ -साफ़
इन्द्रधनुष के रंगों को भी ||
अपने खालीपन में
मैं अक्सर खोजता हूँ तुम्हें अपने आस-पास
और याद करता हूँ अतीत के सुहाने पलो को
तुम्हारी मीठी मुस्कान
आज भी चिपकी हुई है मेरी आँखों पर
हाँ , अब मेरी आँखें जरुर कमज़ोर हो चुकी है
इतना कमज़ोर कि
अब मैं देख नहीं पाता हूँ साफ़ -साफ़
इन्द्रधनुष के रंगों को भी ||