और आज फिर गीली हुई
तुम्हारी पलकें
विदा लेते हुए तुमने गले से लगा लिया मुझे
मैंने स्थगित कर दी
आज की यात्रा फिर
तुम्हारी पलकें
विदा लेते हुए तुमने गले से लगा लिया मुझे
मैंने स्थगित कर दी
आज की यात्रा फिर
आज पहली बार नहीं हुआ
कि मुझे रुकना पड़ा
छोड़नी पड़ी अपनी यात्रा
दरअसल तुम समझे नहीं
कि मेरी हर यात्रा का अंतिम पड़ाव
तुम ही हो
लौट कर मुझे
तुम तक आना है |
कि मुझे रुकना पड़ा
छोड़नी पड़ी अपनी यात्रा
दरअसल तुम समझे नहीं
कि मेरी हर यात्रा का अंतिम पड़ाव
तुम ही हो
लौट कर मुझे
तुम तक आना है |