दरअसल मैंने
दर्द लिखा हर बार
जिसे तुमने मान लिया
कविता |
मेरे दर्द को
तुमने कविता बना दिया !
दर्द लिखा हर बार
जिसे तुमने मान लिया
कविता |
मेरे दर्द को
तुमने कविता बना दिया !
-तुम्हारा कवि
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
No comments:
Post a Comment