इस बार घर से लौटते हुए
ट्रेन रुकी दुर्गापुर स्टेशन के
उसी प्लेटफार्म पर
जिस पर मैंने उस दिन
तुम्हारे आने का
उसी प्लेटफार्म पर
जिस पर मैंने उस दिन
तुम्हारे आने का
इंतज़ार किया था
आज,
मैं अकेला हूँ
सफ़र में !
मैं अकेला हूँ
सफ़र में !
ख्यालों का
भविष्य नहीं होता
मैंने तुम्हें अपना भविष्य माना था
ख्याल टूटे
मिलकर तुमसे
मैंने तुम्हें अपना भविष्य माना था
ख्याल टूटे
मिलकर तुमसे
बिछड़ गया मैं
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