Friday, December 4, 2020

उसने बूढ़े किसानों को देश के 'जवानों' से लड़ा दिया है

 अपनी जमीन और देश को भुखमरी से

बचाने की लड़ाई में
शहीद हो गये कई किसान
तानाशाही सत्ता ने पूंजीपतियों से
किसानों की हत्या की सुपारी ली है
वृद्ध शरीर ने वाटर कैनन से निकलती तेज पानी के बौछारों को
डट कर सहा है
सरकारी आंसू गैस के गोले
कंटीले तार के बाड़ों को लांघते हुए
झुर्रियों वाले चेहरे के
अन्नदाताओं ने
सत्ता की नींद उड़ा दी है
खुली सड़क
खुले आकाश के नीचे
इन सर्द रातों में
मेरे देश के धरती पुत्रों को
किसने उतारा है
क्या हम नहीं पहचानते उसे?
वह शैतान
सत्ता के बल पर लगातर हंस रहा है
हमारी कमजोरी पर
उसने बूढ़े किसानों को
देश के 'जवानों' से लड़ा दिया है
जी, हाँ वही जवान जो
इस जमीन की रक्षा करता है
जिस पर किसान अन्न उगाता है

पर अब वो शैतान
किसानों को
कह रहा है -खालिस्तानी ,
देशद्रोही !
उनका जनरल कह रहा है -
देखने से नहीं लगते ये किसान हैं !
और उनके पालतू कुत्ते भी
उन्हीं की बात पर
स्टूडियों से भौंक रहे हैं
मैं कितना असहाय और कायर हो गया हूँ
कि, कमरे में सुरक्षित बैठ कर कविता लिख रहा हूँ
और उन्हीं का उगाया अन्न खा रहा हूँ
जबकि इस देश में अन्न उगाने वाला हर रोज
लगाता है फांसी
पी लेता है ज़हर
अपना हक मांगते हुए
कभी सरकारी बंदूक की गोली से
हो जाता शहीद !!
और तानाशाही निज़ाम उपहास करते हुए कहता है
कोई नहीं मरा है कर्ज़ से
भूख से
मरना उनके लिए फैशन बन चुका है
वे किसी प्रेम प्रसंग में मरे हैं !!



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3 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. विचारोत्तेजक प्रस्तुति

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  3. sanvedna se purn man ko tript karti kavita, ki vo boodha kisaan akela nahi hai!
    bahut achchhi rachana.... aisee kavitayen ummeed jagati hain, ki inkalaab aise hi aate hain.

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