शाम को
आकाश में जब
सूरज ढलता है
याद दिलाता है कि
जीवन का सच क्या है
इन्सान तो बेकार ही
भाग रहा है
बिना किसी उद्देशेय के
उसे मालूम ही नही कि
उसे जाना कहाँ है
इन्सान को रोज
सिखाता है
आकाश का सूरज
इन्सान समझ नही पता है.
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सही कहा की इन्सान समझ नहीं पाता है. कभी-कभी वो चीजों को देख कर भी समझना नहीं चाहता है और जब तक वो समझता है तबतक देर हो चुकी होती है. अच्छी रचना है.
ReplyDeletereally a great creation of urs...
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