बदन जलाती गर्मी में
तनिक बैठो
इस वृक्ष की छाव में
अब सुनो
पीपल के पत्तों की
खुसुर - पुसुर
क्या सुना तुमने ?
बातचीत या गीत ?
वृक्ष ही तो है
हमारे सच्चे मित्र ।
बैठे रहो यों ही
समय जाएगा बीत
दोनों की है यही रीत
हम मारते हैं
और
वृक्ष हमे बचाते हैं ।
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