Monday, April 11, 2011

घायल हुए हम और तुम

सिंगुर हो
या नंदीग्राम

या कहीं और 
कहीं नही लड़ी गई
तुम्हारी - हमारी लड़ाई
हर जगह
उन्होंने लड़ी
सिर्फ अपनी साख की लड़ाई
वोट की लड़ाई
घायल हुए
हम और तुम
और जीत हुई उनकी
क्या तुम इसे
अपनी लड़ाई मानते हो
अपनी जीत मानते हो ?
चुनावों के बाद
दिखेगा इनका असली चेहरा
वे फिर पैंतरा बदलेंगे
हमें फिर लड़ना पड़ेगा
अपनी जमीन के लिए

हमारे नाम पर लड़ी गई
हर लड़ाई 

उनकी खुद की ज़मीन 
बचाने की लड़ाई थी 
और --
हर लड़ाई में 
उनकी जमीन बनती गई 
और हम ज़मीन हारते गए 
हम वहीं रह गये 
जहाँ से शुरू किया था हमने यह जंग 

बानर कब गिने गये 
योद्धाओं में 
लंका की लड़ाई में 
जीत तो केवल राम की हुई //

10 comments:

  1. जीत तो सिर्फ राम की हुई थी ..
    शुभ कार्यों की पूर्ति के लिए किसी को तो नींव का पत्थर बनना ही पड़ता है ..

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  2. तह दिल से आप सभी का शुक्रिया

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  3. acchi kavitha hai . isi tarah likte raho

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  4. तह दिल से आप सभी का शुक्रिया

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  5. sashakt kavitaen .. shubhkaamnaaen

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  6. हां, हम सिर्फ माध्‍यम थे। हम सिर्फ टूटी हुई तलवार थे, उनके हाथ में...हमें गिना ही नहीं गया कभी....

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इक बूंद इंसानियत

  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...