हो सकता है
अब हम आपकी
आँख की
किरकिरी बन गये हैं
जबकि हम रेत नहीं
बहते पानी हैं !
अब हम आपकी
आँख की
किरकिरी बन गये हैं
जबकि हम रेत नहीं
बहते पानी हैं !
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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