पता नहीं क्यों
तुम्हारे तय रास्तों पर
मंजिल तक पहुँच न सका
मेरा प्रेम !
तुम्हारे तय रास्तों पर
मंजिल तक पहुँच न सका
मेरा प्रेम !
अब मैं
बेवफ़ा हूँ
और तुम मासूम |
बेवफ़ा हूँ
और तुम मासूम |
सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...
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