जी ,
मैं नहीं हूँ किसी बड़े अख़बार का संपादक
न ही कोई बड़ा कवि हूँ
बहुत साधारण हूँ
और बहुत खुश हूँ
मैं नहीं हूँ किसी बड़े अख़बार का संपादक
न ही कोई बड़ा कवि हूँ
बहुत साधारण हूँ
और बहुत खुश हूँ
आईना रोज देखता हूँ ...
कविता के नाम पर
अनुभव और संवेदना लिखता हूँ
दबे कुचलों की कहानी लिखता हूँ
समाचार के नाम पर
रात को अक्सर मैं भी रोता हूँ
इन्सान की तरह
कविता के नाम पर
अनुभव और संवेदना लिखता हूँ
दबे कुचलों की कहानी लिखता हूँ
समाचार के नाम पर
रात को अक्सर मैं भी रोता हूँ
इन्सान की तरह
सटीक प्रस्तुति
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