Monday, July 2, 2018

बहुत साधारण हूँ

जी ,
मैं नहीं हूँ किसी बड़े अख़बार का संपादक
न ही कोई बड़ा कवि हूँ
बहुत साधारण हूँ
और बहुत खुश हूँ
आईना रोज देखता हूँ ...
कविता के नाम पर
अनुभव और संवेदना लिखता हूँ
दबे कुचलों की कहानी लिखता हूँ
समाचार के नाम पर
रात को अक्सर मैं भी रोता हूँ
इन्सान की तरह

2 comments:

युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....

. 1.   मैं युद्ध का  समर्थक नहीं हूं  लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी  और अन्याय के खिलाफ हो  युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो  जनांदोलन से...