Saturday, June 8, 2019

धरती की सीने की दरारें फिर भरने वाली हैं

चैत की तपती धूप में तनहा खड़े
वृक्ष को देखिये
उसकी टहनियों में जो नई हरी पतियां
उग आई हैं
वे हम सब हैं
ऐसा मुझे लगता है
हार कभी होती नहीं ,
जब तक हम पराजय को स्वीकार न कर लें
हम -आप अब भी युद्ध भूमि पर खड़े हैं
इसलिए नई पत्तियों में
मैं सबको देख रहा हूँ
सूचना मिली है -
मानसून का प्रवेश हो चुका है
धरती की सीने की दरारें फिर भरने वाली हैं
हमारे सीने की आग बूझते अभी वक्त लगेगा
हमें न्याय का इंतज़ार है

1 comment:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 09/06/2019 की बुलेटिन, " ब्लॉग बुलेटिन - ब्लॉग रत्न सम्मान प्रतियोगिता 2019 “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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