Wednesday, June 26, 2019

यह पहचान करने और पहचान लिए जाने का दौर है

सत्ता अपने दुश्मनों की शनाख़्त कर रही है
राजपत्र पर आदेश जारी हुआ है
साबित करो -तुम देशभक्त हो !
किसान ने सोचा -तो क्या मेहनत से अनाज उगाने में देशभक्ति नहीं है 
चिथड़ो में लिपटे हुए जुलाहा ने अपनी उँगलियों को गौर से देखा
और ख़ामोश रहा
मुसलमान को बोलने, सुनने और सोचने का मौका ही नहीं मिला
वह कुछ भी बोल, सोच पाता उससे पहले उसका क़त्ल हो गया
और ...
कुछ लोग जो बोल ,लिख और सोच सकने के लायक थे
उनकी कलम तोड़ दी गई , गोली मार दी गई
बच्चे जो अभी बोलने लायक नहीं हुए थे
उन्हें मरने के लिए सरकारी अस्पतालों में छोड़ दिया गया
ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी गई
तमाम अपराधों में लिप्त लोगों को
चुन -चुन कर संसद में भेजा गया है अब
वे ही तय करेंगे किसको है अधिकार इस देश में रहने का
तो क्या यह मान लिया जाए कि अब इस देश में रहने के लिए
अपराधों में शामिल होना एक अनिवार्य शर्त है ?
तो क्या संविधान में लिखी हुई तमाम बातें झूठी हैं ?
यह पहचान करने
और पहचान लिए जाने का दौर है
हाँ, आप-हम पहचान लिए गये हैं
हमने हत्या, लूट और उनकी झूठ को पहचान कर सवाल किया है
इसलिए उन्होंने हमें अपने दुश्मन के रूप में चिन्हित किया है
हम ख़ामोश भी रहते तो भी पहचान लिए जाते एक दिन
हमारी भाषा , खान-पान और धर्म के आधार पर
गरीब का धर्म गरीबी है
यही आज सबसे बड़ा अपराध है
सवाल करना राजद्रोह बन चुका है
रामराज की नींव रखी जा रही है
तैयार रहिये राज पत्र पर अगले आदेश के लिए |

3 comments:

  1. bahut badhiya rachna. aaj ke daur ki kadwi sachchayi ko bayaan karti hui!

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