Sunday, May 24, 2020

व्यवस्था ने उसे मार दिया

इस बार उसे
चाकू से नहीं मारा गया
ज़हर ख़रीदने के पैसे भी नहीं थे उसके पास
कोई घर भी नहीं बचा था जहां चुपके से वह लगा लेता फांसी
इस बार उसे भूखा सड़क पर छोड़ दिया गया
फिर पुलिस लगा दी गयी
कि जहां कहीं चलते हुए देखा जाए
बेरहमी से उसकी पिटाई हो
फिर भी उसने जीने की उम्मीद नहीं छोड़ी
किन्तु हत्या की सभी साज़िशें बन चुकी थी उसकी
वो बेख़बर था
वह चलता गया सैकड़ों मील
समान की गठरी और बच्चों को उठाए हुए
उसने कहीं रोटी मांगी
कहीं पानी
उसे सरकारी डंडों से पीटा गया
भूख से
पहले उसके बच्चों ने दम तोड़ दिया
फिर किसी गाड़ी ने उसे सड़क पर कुचल दिया
वो जारी समय की महामारी से
बच गया था,पर
व्यवस्था ने उसे मार दिया
सुने कि वो इस देश का
विश्वकर्मा था !!!

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