बहुत छोटी-छोटी बातों पर
खुश होना चाहता हूँ 
इसलिए एकांत में और किसी दिन 
बारिश में चौराहे पर भीगते हुए 
मैं रोना चाहता हूँ ...
दर्द के साझा होने पर 
दोस्त जब पूछने लगे 
बताओ -
उम्मीद क्या है!
किसी बच्चे की तरह उदासी छा जाती है मन पर 
और पता नहीं  ठीक इसी तरह
मैंने भी अपनी बातों से कितने लोगों को दी है उदासी, 
दिया है अवसाद !
जीवन का अपना गणित है 
जिस तरह मादक सुगंध और फूलों के रंग से 
बदल जाता है चेहरे का भाव 
जिस तरह दर्द में 
किसी अपने के स्पर्श से मिलता है करार 
ऐसे क्षणों का अब रहता है इंतज़ार 
शिशिर  में भीगे पत्तों की तरह शांत रहना चाहता हूँ 
और सूरज की किरणों की प्रतीक्षा में 
गुजरना चाहता हूँ रात ...
 
 
 
भावपूर्ण कथ्य।
ReplyDeleteशुक्रिया आपका!
Deleteविह्वल मन की अत्यंत भावुक पंक्तियाँ।
ReplyDeleteशुक्रिया आपका!
Deleteशुक्रिया आपका!
ReplyDelete