जब तक तुम जियोगे
दाने - दाने को तरसोगे
समझे किसान ?
तुम्हे क्या लगता है
अंग्रेज़ यहाँ से चले गए
वे अब भी मौजूद हैं
हमारी व्यवस्था में
क्या तुम्हें अहसास नही होता
उनके होने का
दलाल नेताओं के व्यवहार से ?
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युद्ध की पीड़ा उनसे पूछो ....
. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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. 1. मैं युद्ध का समर्थक नहीं हूं लेकिन युद्ध कहीं हो तो भुखमरी और अन्याय के खिलाफ हो युद्ध हो तो हथियारों का प्रयोग न हो जनांदोलन से...
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नमक तो नमक ही है नमक सागर में भी है और इंसानी देह में भी लेकिन, इंसानी देह और समंदर के नमक में फ़र्क होता है! और मैंने तुम्हारी देह का नमक...
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नदी जब मौन हो नीरव हो रात ध्यान में बैठे हुए ऋषि की तरह निथर हो पर्वत,तब जुगनू क्या कहते हैं वृक्षों से लिपट कर? गाँव के सुनसान रास्ते को ...
किसान की करूँ गाथा ....यथाथ कविता
ReplyDeleteशुक्रिया baban jee
ReplyDeletekoi to hai jo kisan ki peeda ke bare me bhi sochta hai.
ReplyDeletegood!