Sunday, January 9, 2011

किसानों की बलि

आई. पी .एल में लग रही है
खिलाडियों की करोड़ों में बोली
सुखे - डुबे खेतों में हो रही है 
 किसानों की बलि.
टू जी में उलझा दिया 
प्याज में आग लगा दिया 
आदर्श का भी  अपमान किया 
अब बल्ला - गेंद बचा है 
चुन लो क्या खायोगे .

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  सपनों का क्या है उन्हें तो बनना और बिखरना है मेरी फ़िक्र इंसानों की है | कहीं तो बची रहे आँखों में इक बूंद इंसानियत तब हम बचा लेंगे इस धरती...